माँ को खुलकर मु स्कुराते देखा है!
इतने वर्षों बाद भारत माँ को खुलकर मुस्कुराते देखा है! जो पढ़ सके न खुद किताब मांग रहे है,खुद रख न पाए वे हिसाब मांग रहे है।जो कर सके न साठ साल में कोई विकास वेसौ दिनों में ही जवाब मांग रहे है!आज गधे गुलाब मांग रहे है, चोर लुटेरे इन्साफ मांग रहे है।जो लुटते रहे…
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